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lopchanlama     
	  
	  
		
			
		 
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        Posted on 12-24-08 11:08 
        AM     
   
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बधाई प्रचन्ड   बधाई छ प्रचन्ड  स-परिवार बिदेश भ्रमण तिमीलाई बधाई छ बाबुराम सर्बे-सर्वा ढुकुटी ब्रम्ह्-लुट तिमीलाई   धेरै आस्था  अनी  विश्वाश थियो बाह्र बर्ष रगतको होली खेलेर सत्तामा पुग्दा नेपाल आमाले  लामो चैनको सुस्केर  हालेथ्यो जनताले ढोल बजाएर हर्सो-उल्लाश मनाएथ्यो किन्तु लोड्-सेडीङको झटारोले तर्सायौ दश लाख भत्ताले ढाड सेकायौ   जंगल पसेर बन्ढुक पड्काउदा सयौ घाइते भएथ्यो आगनको डिलमा सकेट बमहरु पड्काउदा हजारौं शरीरहरु  क्षत - बिक्षत  भएथ्यो सुकेका छैनन अझै  ति घाउहरु पुरिएका छैनन ति  क्षत - बिक्षत शरीरहरु    बधाई छ प्रचन्ड  स-परिवार बिदेश भ्रमण तिमीलाई बधाई छ बाबुराम सर्बे-सर्वा ढुकुटी ब्रम्ह्-लुट तिमीलाई       एक्काइसौ  शताब्दीमा लिन ठिङ -लिन ठिङ हिंडेको देश उन्नाईसौ  शताब्दीमा पुरायो   कलम समाउने हातहरुमा बन्दुक थमाई नयाँ संबिधान कोर्ने कुरा गर्थ्यौ  खै कता हरायो? कता हरायो? तितो यथार्थ हो या  कटु सत्य बाह्र बर्ष गरीब जनताले रगतको खोलो बगाएको  प्रचन्डलाई बिदेश  घुमाउन पो हो की? रमाई-रमाई संबिधान सभामा भोट खसालेको बाबुरामलाई ढुकुटी रित्याउन दिएको पो हो की?   बधाई छ प्रचन्ड  स-परिवार बिदेश भ्रमण तिमीलाई बधाई छ बाबुराम सर्बे-सर्वा ढुकुटी ब्रम्ह्-लुट तिमीलाई     | 
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lopchanlama     
	  
	  
		
			
		 
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        Posted on 03-18-09 2:16 
        AM     
   
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केही मुक्तक   जलश्रोतमा धनी रे  देश हाम्रो नेपाल आउँदैन बत्ती सके सोलार नसके मैन बत्ती बाल   बन्द छ  राजमार्ग सुक्खा छ रे कुलेखानी पानी चाहिए मेलम्ची जाने बुझ्यौ? काकाकुल राजधानी   बन्द छ बन्द छ मेरो देश बन्द छ दिनमा २० घण्टा मेरो देश अन्ध छ     | 
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stopthewar     
	  
	  
		
			
		 
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        Posted on 03-18-09 8:55 
        AM     
   
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Geology Tiger     
	  
	  
		
			
		 
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        Posted on 03-18-09 11:01 
        AM     
   
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लोप्चन जि,  यहाँको मुक्तक साँच्चैकै राम्रा छन्, प्रयास जारी रहोस्।   | 
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lopchanlama     
	  
	  
		
			
		 
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        Posted on 03-18-09 5:44 
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थप केही  मुक्तक   गिरिजाले पनि सकेन ज्ञानेद्राले पनि सकेन देउवा र माकुनेको त के कुरा गरौ भो? प्रचन्डले पनि सकेन सतीले सरापेको देश केही गरे पनि बन्दैन चाहे तिमी जे-सुकै गर बरु खुर्सानीको बोटमा झुन्डिएर मर     नब्बे सालको भुइचलो फेरी देशमा आयो रे लथा-लिंग भताभुंग भयो देश महंगीले आकाश छोयो रे आउँदैन रे धारामा पानी लोडसेडिगले कल्-कारखाना बन्द भयो रे रेडियो र पत्रीकाले डराई  समाचारहरु फुक्दै छन रे भ्रस्ट नेता भन्ने जन्तु नेपाल पस्यो रे भ्रस्ट नेता भन्ने जन्तु नेपाल पस्यो रे   | 
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lopchanlama     
	  
	  
		
			
		 
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        Posted on 03-18-09 10:20 
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पर्दैन राम राज्य 
 पर्दैन जन्मिनु रामहरु
 पर्दैन बन्न श्री कृष्ण
 बस्
 रावणहरु जन्मिएँ पुग्छ
 
 लथालिंग भईसक्यो देश
 कयौं राम बन्न खोजेर
 लुटिएँ अस्तित्तो धेरै
 कृष्ण लीला रोजेर
 पर्दैन बनाउन अयोध्या
 लंका बनाई दिए हुन्छ
 पर्दैन जन्मिनु रामहरु
 बस्
 रावणहरु जन्मिए पुग्छ
 
 
 धेरै देखें सिताहरु
 लक्ष्मणको त के कुरा भो ?
 फसिसक्यो देश भुमरिमा
 हनुमानहरुको के काम भो
 चाहिदैन राम राज्य
 पर्दैन बनाउनु अयोध्या
 लंका बनाईदिएँ हुन्छ
 पर्दैन जन्मिनु रामहरु
 बस्
 रावणहरु जन्मिए पुग्छ
 
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hit.the.hot     
	  
	  
		
			
		 
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        Posted on 03-18-09 10:46 
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dherai raamro, Lopchan bro!! In fact, everyone's writing is just so awesome!! Nepali Literature is so vague if we can understand it in real sense!!     Nepali muktak ra kabita haru utube baahek aru kun website ma herna paayincha? any idea?   any links??	
    
          
           
 
 
 
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lopchanlama     
	  
	  
		
			
		 
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        Posted on 03-19-09 3:35 
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Hit.the.hot र Geology Tiger जी, मेरो रचनाहरु मन पराइ दिनु भएकोमा धन्यवाद। Hit.the.hot  जी, तपाईं  यो लिन्कमा राम्रा- राम्रा रचनाहरु पढ्न  पाउनु हुन्छ। http://www.tanneri.com/ | 
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Bhaktaman     
	  
	  
		
			
		 
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        Posted on 03-19-09 5:52 
        PM     
   
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dhanyabad cha lopchan bro!	
    
          
           
 
 
 
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nut     
	  
	  
		
			
		 
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        Posted on 03-19-09 7:49 
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धन्यवाद लामाभाइ, धेरै रम्ब्रो, बहुतै सन्धर्बिक, वास्तवमा भन्नेहो भने तिम्रो मुक्तक, कबित अतिनै रम्ब्रा छन, कीप इत अप।     गर्ब गर्न लयाक छन, बेदेस म बसेर पनि नेपाली माटोको अती माया, अनी ति माया हरुलिए अती सतिक रुप म प्रस्तुत गर्न सक्ने छमतआ।       ब्ट्व, आइ गवे यू अ फोन कल लस्त वीक, बुत कोउल्द नट गेट यू कोन्नेक्तेद, प्रोबब्ली बिजी हूल हैन, अन्य्वएे, कीप इन तोउच.     Nut	
    
          
           
 
 
 
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lopchanlama     
	  
	  
		
			
		 
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        Posted on 03-20-09 11:29 
        AM     
   
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Bhaktamanजी र  Nut दाई लाई मेरो रचना मनपराइ दिनुभएकोमा धन्यवाद। अनी Nut दाई, सबै कुसल-मंगल।	
    
          
           
 
 
 
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lopchanlama     
	  
	  
		
			
		 
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        Posted on 03-20-09 9:26 
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भगवान भरोसा   कहिले माओको बन्दुक पड्कियो कहिले र्हितिक कान्डा मच्चियो
 त कहिले मदेश करायो
 कहिले वाइ सियलले बजायो कहिले चक्क जाम त कतै फोहोरको गन्ध कहिले तराइ त कहिले राज-मार्ग बन्द खै कसरी भनु साथी हो? देश बिकास कता हरायो कता हरायो?
 गिरिजाहरु कति आए गए देउवाको त के कुरा
 आशा थियो माईला दाईको तर चलाई दिए छुरा
 प्रचन्ड होस् या बाबुराम
 मादव होस् या गिरिजा
 अब नेपालको बिकास
 भगवान भरोसा
 
 
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lopchanlama     
	  
	  
		
			
		 
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        Posted on 03-24-09 9:04 
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जनताले के पायो   बाह्र बर्ष गोली बर्सायो कलीला हातहरुमा बम -बन्दुक थमायो गाविसा-चौकी लडायो,टावर-पुल उढायो  भएको संरक्षण भत्कानु-भत्कायो युवा शक्ती बिदेश भगायो सिङो देश अन्धकारमा सुतायो शान्त देशमा, तराइ-मदेश भड्कायो वाइसियलको बलमा ढाड मर्कायो कहिले महंगिले जनताको तालु ठटायो कहिले अपहरण त कहिले चन्दा आतंक मच्चायो तै पनि विश्वाश गरी चुनावमा जितायो न त संबिधान, न त देश बनायो? छातीमा हात राखेर भन बाबुराम अनी प्रचन्ड फोस्रो तिम्रो जन-आन्दोलनले आखिर जनताले के पायो?   | 
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shirish     
	  
	  
		
			
		 
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        Posted on 03-24-09 10:15 
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लोप्चन लामा जी मुक्तक गजलको मतला र एउटा शेर जस्तै लेखिन्छ ।  तपाईको लेखाईमा अध्ययनको कमी देखियो । रचनाहरु राम्रा छन् - प्रयास जारि राख्नु होला । http://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%95 मुक्तक  विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोष सेमुक्तक काव्य या कविता का वह प्रकार है जिसमें चार पंक्तियाँ होती हैं। पहली दूसरी तथा तीसरी पंक्ति में तुक होती है। तीसरी पंक्ति में तुक नहीं होती है। उदाहरण के लिए दुश्यंत कुमार का यह मुक्तक- संभल संभलकर बहुत पाँव घर रहा हूँ मैं पहाड़ी ढाल से जैसे उतर रहा हूँ मैं क़दम क़दम पर मुझे टोकता है दिल ऐसे गुनाह कोई बड़ा जैसे कर रहा हूँ मैं। | 
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lopchanlama     
	  
	  
		
			
		 
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        Posted on 04-18-09 9:43 
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सर्व-प्रथम , मेरो रचना मन पराई दिनु भएकोमा सबैलाई धन्यवाद। Shirish जी, कहिले कामको ब्यस्तता , कहिले पढाईको ब्यस्तताले गर्दा साहित्य प्रती रुची भएता पनि अद्ययन गर्ने मौका पाइरहेको छैन। तर पनि देशको स्थिती देखेर मुटु कटक्क खान्छ अनी केही कोर्ने गर्छु। कहिले घुम्सिरहेको भावनाहरु पोख्ने गर्छु। जानि-नजानी कोरिएका मेरा रचनाहरु मन पराई दिनु भएकोमा फेरी पनि धन्यवाद।  र यो पनि   रोक्न सकिन आशुँहरु तालिको गढगढाहटमा शिर उठाएर खुशीमा रोएँ भर सभामा एक्लो उभीदाँ एक्लोपनको महसुस भयो परेली बिजाएर दु:खमा रोएँ बुझ्नेलाई क्ष्रिखन्ड नबुझ्नेलाई के भनु र खै? छातीमा हात राखेर भन्छु भक्कानो फुटेर आयो मेरो प्यारो देश सम्झेर सुटुक्क रोएँ जित पनि भयो हार पनि भयो आँखा खोली जितमा रोएँ आँखा छोपी हारमा रोएँ रोक्न सकिन आशुँहरु शिर उठाएर खुशीमा रोएँ परेली बिजाएर दु:खमा रोएँ         | 
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Californication     
	  
	  
		
			
		 
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        Posted on 04-18-09 10:27 
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Lopchanji, A++ You  are  awesome, Keep it up. Regards | 
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pashupatidev     
	  
	  
		
			
		 
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        Posted on 04-19-09 5:46 
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तालिको गढगढाहटले सम्मान दर्साउने हरु पनि तपाईं कै साथ् हुन नि। त्यो पुरै सभाग्रीह एउटै मन्च , अनी तपाईं बिचमा ; अरु ओरिपरी। आहा ।।। यस्तो सोच्ने हो भने त दु:खमा रुनै नपर्ने राइछ त।   यो चै मेरो बिश्लेषण कबिता को बारेमा।।  लेखन चै भब्य छ ल। बधाई छ दाई।
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aadhikhola     
	  
	  
		
			
		 
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        Posted on 04-19-09 9:15 
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Like it ..keep it up guys..	
    
          
           
 
 
 
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Ved555     
	  
	  
		
			
		 
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        Posted on 04-19-09 9:43 
        PM     
   
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Aba Prachanda lai thoknu parchha...!!! 	
    
          
           
 
 
 
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lopchanlama     
	  
	  
		
			
		 
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        Posted on 04-20-09 6:40 
        PM     
   
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नब्बे सालको भुईचलो फेरी देशमा आयो रे लथालिङं भताभुङं भयो देश महगींले आकाश छोयो रे सडकको त के कुरा  सदनमै तोट-फोट भयो रे रेडियो र टेलिभिजनले  डराई- डराई समाचारहरु फुक्दै छन रे भ्रस्ट नेता भन्ने जन्तु  नेपाल पस्यो रे | 
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lopchanlama     
	  
	  
		
			
		 
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        Posted on 04-25-11 1:48 
        PM     [Snapshot: 5480]    
   
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भर गिलास 
सोमरस 
मेरो देशको बर्तमान 
एक खिल्ली  
 चुरोट 
 मेरो देशको  भबिस्य 
गल्लिको भट्टीमा 
अड्केको 
 मेरो देशको बिकास
 Last edited: 25-Apr-11 01:52 PM Last edited: 25-Apr-11 07:46 PM | 
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