Posted by: shirish March 24, 2009
बधाई प्रचन्ड
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लोप्चन लामा जी


मुक्तक गजलको मतला र एउटा शेर जस्तै लेखिन्छ ।


तपाईको लेखाईमा अध्ययनको कमी देखियो । रचनाहरु राम्रा छन् - प्रयास जारि राख्नु होला ।


http://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%95


मुक्तक



विकिपीडिया, एक मुक्त ज्ञानकोष से



 

मुक्तक काव्य या कविता का वह प्रकार है जिसमें चार पंक्तियाँ होती हैं। पहली दूसरी तथा तीसरी पंक्ति में तुक होती है। तीसरी पंक्ति में तुक नहीं होती है। उदाहरण के लिए दुश्यंत कुमार का यह मुक्तक-


संभल संभलकर बहुत पाँव घर रहा हूँ मैं


पहाड़ी ढाल से जैसे उतर रहा हूँ मैं


क़दम क़दम पर मुझे टोकता है दिल ऐसे


गुनाह कोई बड़ा जैसे कर रहा हूँ मैं।

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