Posted by: serial February 19, 2008
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यो चाँही हाम्रो रिट्ठे को लागि है,
क्या आखे है, क्या चेहेरा तुम्ने पाया है।।।
ऐसा लग्ता है जैसे पीपल के पेद से भूत उतर आया है।।।