Posted by: serial February 7, 2008
-- चौतारी - ९८ --
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कोइ मिला हि नही जिस को वफा डेते
हर इक ने धोखा दिया किस किस को सजा डेते
ए हमरा जर्फ था के खामोश रहे वर्ना
दास्तन सुनातेय् तो मेह्फिल को रुलादेते
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