Posted by: Birkhe_Maila February 10, 2007
-- चौतारी ४५ --
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लु सबै कता कता लाएछन! एउडा गुलाम अलिको गजल गाउँदै म पनि गएँ सुत्न! थोडि सि पि शराब थोडि उछाल दि कुछ इस तरहसे हमने जवानी निकाल दि हमने सिया है ईश्कमे होठोँको इस तरह जिसने भि दि जहाँमे हमारि मिसाल दि अब डर नहिँ किसिका जमाने मे दोस्तोँ हमने तो दुश्मनी भि मुहब्बतमे ढाल दि मै चुर हुँ नशेमे मुझे कुछ खबर नहिँ मुझ पे निगाह ए' शोख कब तुमने डाल दि युँ मुझको था तुम्हारे हि आने का इन्तजार गुमनाम मैने मौत भि रस्ते मे टाल दि
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