Posted by: Birkhe_Maila February 7, 2007
-- चौतारी ४५ --
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लु गोताएँ, आज ब्यान मात्तै ग्वाँचेले काठमाण्डुबाट ल्याइदेओ तमाखु छ भरेर राख्या छु के रे सल्काए हुन्छ! तुम सोचोगि क्योँ इतना, मै तुमसे प्यार करुँ तुम समझोगि दिवाना, मै भि एकरार करुँ दिवानोँकि ए बातेँ, दिवानेँ जानते हैँ जलनेमे क्या मजा है, परवाने जानते हैँ तुम युँ हि जलाते रहना , आ आकर ख्वाबोँमे
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