Posted by: nepalean January 22, 2007
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गजप गरिलिएछ कुमलवा ले । हम भि आए यो न्या चौतारी मे । अब तिमीले लेउ दो चार धनियाके पात ।
उसके बात हम भि लागिलेए सरस्वतीके मन्दिर मे ।
सरस्वती मया दि्रस्टि बिध्धा देउ मुजे
हासमे तिमी चढि लेउ मलाइ एउटा मर्सिटिज देउ
पर्थममे किताब और कापी दुस्रे हातमे घडी
तिमि सधै बरदान देउ ऐसा खल्तीमे देउ मलाइ सधै पैसा