Posted by: columbiauniversity March 3, 2016
ओसामा पाकिस्तान में क्या चाहते थे?
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पाकिस्तान के एबटाबाद में मारे जाने वाले अल क़ायदा नेता ओसामा बिन लादेन चाहते थे कि चरमपंथी पाकिस्तान के पश्चिमी इलाक़ो के साथ-साथ उसकी पूर्वी सीमा पर भी हमले करके उसे कमज़ोर करें.

लादेन चाहते थे कि ख़ैबर पख़्तूनख्वा और बलूचिस्तान में जो पाकिस्तानी सुरक्षा बल तैनात हैं उन पर भी हमले होने चाहिए.

अमरीकी ख़ुफ़िया एजेंसी डायरेक्टोरेट ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस ने ओसामा बिन लादेन के एबटाबाद निवास से मिलने वाले दस्तावेज़ों को जारी किया है.

अंग्रेज़ी में जारी किए गए 100 से अधिक पन्नों के दस्तावेज़ों में पाकिस्तान में जिहाद और पाकिस्तानी तालिबान के पुनर्गठन से जुड़े दो दस्तावेज़ अहम हैं.

दोनों लगभग 30 पन्नों के हैं और उनसे यह भी साबित होता है कि एबटाबाद में मौजूद होने के बावजूद वे न सिर्फ अल क़ायदा बल्कि तहरीके तालिबान पाकिस्तान की नीतियों और प्रशासनिक मामलों में भी बहुत हद तक दख़ल रखते थे.

'पाकिस्तान में जिहाद क्यों और कब?' शीर्षक से एक लेख भी समाने आया है.

इसमें बताया गया है कि अगर पंजाब (पाकिस्तान) में माहौल ख़राब किया जाए और सेना को वहां आने पर मजबूर किया जाए तो यह एक बड़ी कामयाबी होगी, क्योंकि फ़ौज पंजाब में रहने को मजबूर होगी और सीमा से उसका ध्यान हट जाएगा.

Image copyrightBBC World Service

ओसामा पाकिस्तानी सेना की ताक़त को पश्चिमी और पूर्वी क्षेत्रों में फंसाकर बांट देने के समर्थक थे.

साल 2009 और 2011 के बीच तैयार किए गए इस लेख में ओसामा दलील देते हैं कि चरमपंथियों को पहले अफ़ग़ानिस्तान में इस्लामी राज्य की स्थापना करनेे की कोशिश करनी चाहिए ताकि इसे बाद में दूसरे इलाक़ो में फैलाया जा सके.

लेकिन अफ़ग़ानिस्तान में इस्लामी हुकूमत के ख़ात्मे के बाद लोग तितर-बितर हो गए चुके थे और ऐसा करना मुश्किल हो गया था.

उनके अनुसार पाकिस्तान में जनता और 'मुजाहिदीन' मानसिक रूप से जिहाद के लिए तैयार न थे. तालिबान स्वात में भी हार चुका था.

ओसामा के मुताबिक़ अमरीका पाकिस्तान को विभाजित करना चाहता है और इस बारे में उसने एक विभाजित पाकिस्तान का नक्शा भी तैयार किया हुआ था.

उनका मानना था कि इस योजना के तहत वो कराची में सिंगापुर या हांगकांग जैसी हुकूमत की स्थापना, बलूचिस्तान को मुक्त बनाना, उत्तरी क्षेत्रों में हुकूमत, ख़ैबर पख्तूनख्वा को अफगानिस्तान में मिलाने और बाक़ी पंजाब और सिंध को आज़ाद मुल्क बनाना या भारत के साथ मिलाना चाहते थे.

Image copyrightAP

ओसामा की ग्वादर बंदरगाह से संबंधित भविष्यवाणी कम से कम सही साबित हुई है जिसमें उन्होंने इसे चीन के हवाले किए जाने की बात की थी.

उस समय की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए इन दस्तावेज़ों के मुताबिक ओसामा पाकिस्तान में जिहाद की शुरुआत करने के समर्थक दिखाई देते थे.

उनका कहना था, "आज पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान में इस्लामी हुकूमत और वज़ीरिस्तान की जिहादी को मज़बूत करने के लिए जिहाद ज़रूरी हो गया है."

इस दस्तावेज़ में पाकिस्तान में ऑपरेशन को अंज़ाम देने का भी विस्तार से वर्णन किया गया है.

विशेषज्ञों के अनुसार उनकी यह सोच पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों की सोच से मिलती जुलती है.

Image copyrightAFP

एक पत्र में ओसामा बिन लादेन ने तालिबान पाकिस्तान के संगठन क बारे में विस्तृत चर्चा की है.

वो उसमें बताते हैं कि किसे संगठन का मुखिया होना चाहिए, कहां-कहां से लोग इसमें भर्ती करने चाहिए.

इसके अलावा वो ये भी ज़िक्र करते हैं कि वित्त, सूचना और ख़ुफ़िया समितियों का प्रबंधन कैसे किया जाना चाहिए.

पैसे की कमी को पूरा करने के लिए उन्होंने अपहरण की बात भी की है.

वो अहमदिया, हिंदू, प्रमुख शिया व्यापारी, सरकारी अधिकारी और अमरीकियों की मदद करने वाले लोगों का अपहरण करने की बात करते हैं.

हालांकि उन्होंने अग़वा किए गए लोगों के साथ हिंसक बर्ताव नहीं करने की बात भी की थी.

इन दस्तावेज़ों से पता चलता है कि ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान के मामलों पर गहरी नज़र रखे हुए थे और चरमपंथियों का मार्गदर्शन भी करते थे.

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