Posted by: taraniraula February 6, 2016
तालों में ताल भोपाल का ताल बाकी सब तलैया भोपाल में एक कहावत है
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“तालों में ताल भोपाल का ताल बाकी सब तलैया”, अर्थात यदि सही अर्थों में तालाब कोई है तो वह है भोपाल का तालाब। भारत का ह्रदय मध्यप्रदेश देश-विदेश में अपने पर्यटन स्थलों, खान-पान, शिल्पकारी, बुनकरों के लिए जाना जाता है. तो आज मध्य प्रदेश के सफर में इस बार चलते हैं तालों के शहर भोपाल की सैर पर. भोपाल नवाबों का शहर भोपाल की स्थापना राजा भोज ने 1000-1055 ईस्वी में की थी. उस समय राजा भोज की राजधानी धार थी. धार आज मध्य प्रदेश का एक जिला है. भोपाल नगर का पहले नाम ‘भोजपाल’ था जो भोज और पाल की संधि से बनाया गया था. वैसे आज के भोपाल शहर की स्थापना गोंड रानी ने की थी. भोपाल के दर्शनीय स्थलों में छोटा तालाब, बडा तालाब, भीमबेटका, अभयारण्य तथा भारत भवन हैं. इसके अलावा भोपाल के पास ही विश्व प्रसिद्ध सांची का स्तूप भी पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है. भोपाल से लगभग 28 किलोमीटर दूर स्थित भोजपुर मंदिर एक ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल भी है. भोपाल के ताल से जुड़ी एक रोचक कहानी है, कहा जाता है कि राजा भोज एक बार बहुत बीमार पड़ गए. वैद्यों ने हाथ खड़े कर दिए तो एक ज्योतिषी ने कहा कि अगर राजा एक ऐसा ताल बनवाएं, जिसमें सात नदियों का पानी गिरता हो तो उनकी जान बच सकती है. राजा ने अपने मंत्रियों को ऐसी जगह ढूंढने का आदेश दिया और वह जगह वहीं मिली जहां अब भोपाल है. पर यहां कुल पांच नदियां थीं. थोड़ा और खोजने पर 15 मील दूर दो नदियां और मिलीं. उन्हें एक सुरंग के रास्ते यहां तक लाया गया और बांध बनाकर उनका पानी रोका जाने लगा. इधर ताल बनता गया उधर राजा की हालत सुधरती गई. भोपाल जिस चीज के लिए इतना प्रसिद्ध है वह है उसके झील. झील में आप नौका-विहार, हाउस-बोट आदि का भी जरुर मजा लें. भोपाल के सफर को यादगार बनाने के मानसून का मौसम ही सर्वोत्तम होता है. भोपाल की यह विशालकाय जल संरचना अंग्रेजी में “अपर लेक” (Upper Lake) कहते हैं इसी को हिन्दी में “बड़ा तालाब” कहा जाता है। यह एशिया की सबसे बड़ी कृत्रिम झील भी कहा जाता है। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के पश्चिमी हिस्से में स्थित यह तालाब भोपाल के निवासियों के पीने के पानी का सबसे मुख्य स्रोत है। भोपाल की लगभग 40% जनसंख्या को यह झील लगभग तीस मिलियन गैलन पानी रोज देती है। इस बड़े तालाब के साथ ही एक छोटा तालाब (Small Lake) भी यहाँ मौजूद है और यह दोनों जलक्षेत्र मिलकर एक विशाल “भोज वेटलैण्ड” का निर्माण करते हैं, जो कि अन्तर्राष्ट्रीय रामसर सम्मेलन के घोषणापत्र में संरक्षण की संकल्पना हेतु शामिल है।
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