Posted by: shirish February 15, 2011
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रूप बद्ली रहें |
आँफै छक्क परें |
भेडै मान्नु पर्यो
पछी मात्र लागें |
असली रूप हेर
फेरी बाचा तोडें |
नियत् स्पष्ट पारें
मैले गति छाडें |
सँगै पाप गर्नु
मेरो धर्म ठानें |
कति थियो आशा
त्यसै मन मारें |