Posted by: Rahuldai April 8, 2010
चौतारी १८४
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तारेमाम पुरे ,
हो त नि त्यो हरियो बग्ने जिनिस खै ?? झिल्केले सुटुक्क झिल्की लाई भनी लुकायो जस्तो छ । 
 



दो व्यक्ति एक बार में बैठे थे... 
एक ने कहा, यार... मेरी फैमिली में बहुत प्रॉब्लम है... 
उसकी बात काटकर दूसरा बोला, पहले मेरी सुन... मैंने कुछ दिन पहले एक विधवा से शादी की, जिसकी एक बेटी थी... कुछ दिन बाद पता चला कि मेरे पिताजी को मेरी नई बीवी की बेटी से प्यार है और उन्होंने उससे शादी कर ली, जो अब मेरी ही बेटी थी... अब मेरे पिताजी मेरे दामाद बन गए और मेरी बेटी मेरी मां... और मेरी ही पत्नी मेरी नानी हो गई... फिर ज्यादा प्रॉब्लम तब हुई, जब मेरे बेटा हुआ... अब मेरा बेटा मेरी मां का भाई हो गया तो इस तरह मेरा मामा हो गया... परिस्थिति इससे भी ज़्यादा ख़राब हो गई, जब मेरे पिताजी को बेटा हुआ... अब मेरे पिताजी का लड़का यानी मेरा भाई मेरा ही धेवता (नाती) हो गया और इस तरह मैं खुद का ही दादा भी हो गया और खुद का ही पोता भी..
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