Posted by: Madness January 19, 2010
चौतारी-१७३
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जे राम जि कि।


हमि सोचेथिएँ हमरो चोतारी जो छ ऊ बिलकुल एक्टा फैमलिके घइर छ। सब दाजुहरु सबको बराब्रि देख्छ। पर हमरो सुसरा आँईखमा कालिख लगेरहेछ कि हमि वैसन भन्ठानेछ। यि घईरके बाहर, यि चौतारीके बाहर, हमरो नाम लोग सामपरदायिक किसमले लिन्दोरहेछ, आईज यि बाईत सुईनके हमरो दिलपे साँप लोटेछ सला ऊ भि कोबरा सांप।


हमि सोचे थियो बेरे दाजु जो छ ऊ हमरो संग त्यति बतियावन्देन पर हमिलाई भाई जैसन भन्छ पर ऊ सुसरा भि कम्रो कन्वा पछारि हमिलाई तकारि बेचनेको आदमि भनेछ। ठिके छ कोनो बात छेन। पर हमिलाई खुसि लगेछ कि खुसिया सुन्द्री जो छ ऊ हमको बात दिखावनेको लागि हियाँ रखनेको बात किएछ और रिठे दाजु दिखाएछ। यो हमरो दिलमा, हमरो दिमागमा, हमरो खुनमा जो चिज सुसरा सदियोँ से कुँदेको छ, ऊ कहाँ ऐसे हि हटनेको छ ऊ हटिहाल्देन् पर हटावनेको लागि, हमि वैसन बात कर्न वैसन बेबहार जो छ ऊ कर्न छोरनेको पर्छ तइब जाके सुसरा २-३ जैनरैसनको बाइदमा हटनेको छ। बेरे दाजु डरनेको कोनो बात छेन, हमि झग्रा तक कर्देन त सुसरा मारपे पिटनेको बात किधरसे आवँछ सो डरने और नाडरनेको बात छेन्।


आँल इज वेल


जे राम जि कि।

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