Posted by: Birkhe_Maila January 19, 2010
चौतारी-१७३
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(सिन-१)
(गन्नु और हर्के रंगिला एक आपसमे बात कररेलेँ है)
हर्के रंगिला- "गन्नुभाई गन्नुभाई!"
गन्नुभाई- "अबे उजडे चमन अब बकेगा भि या सिरफ गन्नुभाई हि करेगा?"
हर्के रंगिला- "गन्नुभाई, अपुन राहुल डक्टरको फुन लगाया!"
गन्नुभा‌ई- "तो क्या बोला वो खुसट?"
हर्के रंगिला- "गन्नुभाई वो काणेको चेनसे बाँधकर हस्पताल लानेको बोलरेला था!"
गन्नुभाई- "तो ले के जाओ न नासपिटेको चेनसे बाँधकर!"
हर्के रंगिला- "भाई मै सोचरेला था कि, क्युँ ना हम काणेकि बात मानके वो बिहारीपे और खन्नो पे नजर रखेँ!"
गन्नुभाई- "काहे कु रे?"
हर्के रंगिला- " क्या मालुम,काणा सच भि तो बकरेला हो सकता है!"
गन्नुभाई‍- "ठिक बोला तु, अब्बि मै तेरेकु २ घन्टे बाद मिलेंगा, तब सोचेंगा कि किसको टपकानेका और किसको पागलखाने भेजनेका!चल हट् अब्बि हवा आने दे!"
हर्के रंगिला- "कोई वान्दा नक्को भाई!"


 


(सिन-२)


(हर्के रंगिला एक खोलिके बाहर है, खोलि बोले तो पुरा सल्मडग जैसा। पब्लिक लोग बोले तो सब्ब के सब्ब उधरिच आगेला है। रंगिलेके आग्गे कमरियापे आँचल बाँधेली और चुईङ्गम चबारेली खन्नो, किसि कालीकी माफिक लगरेलि है!)


धन्नो- "क्या बोला रे तु गन्नु का कुत्ता मेरेकु? क्या बोला रे तु? अरे तेरे बच्चे अनाथ हो कलमुहे! तेरे बदनपे किडे पडे कमिने! तेरि बिबि तेरि नोकरके साथ भाग जाए! हाए रे हाए! एक लडकिकि हाए लगेंगि रे तेरेकु! मेरेकु आईटम बोलरेला हैन तु कुतियाके पुँछ?"
हर्के रंगिला- (कुछ हकबकाया सा) "अरे..मेरि बात तो सुन् रे छोकरी!"
धन्नो- "छोकरि हुँगि मै अपनिच बाप कि तेरेकि नक्को समझा तु? अब्बि क्या बोलरेला था बिगडे सांड तु मेरेकु? आइटम बोला न तु?"
हर्के रंगिला- "अरे आइटम बोले तो अपुनका लैङ्ग्वेजमे लडकि रे खम्बा उखाडके! तु काहे कु जमि आसमा एक कररेलि है? एक सिधि सि बात पुछेंगा न अपुन तेरेकु? काहे कु रे?"
धन्नो- (और जोर से चुइङ्गम चबाति हुइ,आँख नचाति हुई)"अरे ऐसे बात पेले करता तो गालि तो नहिँ खाता रे कमिने, बोल क्या पुछनेकु आया तु मेरेकु?"
हर्के रंगिला- (लम्बि सास लेते हुवे) "सुन् छोक्..साँरि बोले तो माफ करना...सुन लडकि, अपुन सुना है कि तेरेकु वो कोइ मदनवा बिहारि करके पटारेला है? क्या सच है? तेरा भाई रिठे काणा ऐसाइच बोलरेला था!"
धन्नो- "अरे हाय हाय! एक अकेलि लडकि देकि नक्को, सब के सब हरामि लोग सोचेंगा कि इसका टांका भिडेला है!हाय रे अपुन कि किस्मत, बाप साला पैदा करनेके बाद भागगेला, माई भरि जवानिपे मरगेली, अपुन अकेलि लडकि..सुबुक..सुबुक" (रोने लगरेलि है)
हर्के रंगिला- (हकबकाते हुवे) "अरे सुन् रे! अपुन कब्ब बोला कि तेरा टाँका भिडेला है? बोला अपुन? अपुन ऐसा नक्को बोला रे! अपुन तो साला पुछरेला था कि वो मदनवा बिहारी करके कोइ छोकरा तेरेकु छेडरेला था क्या खम्बा उखाडके!"
धन्नो- "अरे साला हलकट मवाली, कोई लडकि छेडनेको खम्बा उखाडता है क्या? अबे सुब्बो सुब्बो से बाटलि मारके आया क्या तु?"
हर्के रंगिला- "अरे अपुन खम्बा उखाडके छेडनेका बात नक्को किया रे, वो तो अपुन जगदिपका फ्यान बोले तो पंखा है ए सि है, वहिच डायलाँग मारेरेला था! बोल रे लडकि क्या वो तेरेकु छेडता है? देख अपुन तेरे भाईका दोस्त तेरे भाई जैसा है रे! बोल तु बस बोल दे, बाँकि अपुन देखेंगा न!"
धन्नो- (बड्डि बड्डि आँख बनाति हुई)"अरे ऐसा कलमुहे भाई होने से अछ्छा है मै अनाथ हि हो जाउँ! हाय रे हाय!"
हर्के रंगिला- "अरे अब काहे कु हाय?"
धन्नो- "हाय..हाय नक्को करुँ तो नाचुँ क्या? बोल रे मवाली नाचुँ क्या? अरे छेडता एक है और भाई बननेका नाटक करके किसि और कु ढुँढता है रे!"
हर्के रंगिला -(भौहेँ सिकुडता हुवा)"क्या बोलि रे तु धन्नो? कोइ और छोकरा छेडता है तेरेकु?"
धन्नो- (फिर सुबकति हुई)" हाय क्या बताउँ, मै अकेलि लडकि,अरे जब जब चौतारी बाजार जाति हुँ न, वो एक साला हलकट आवारा, रामपुरैया करके नवाँ छोकरा आगेला है बाजारमे,साला सरेआम, लाल लाल आँक मारके छेडता है! हाय रे हाय मुह उठाकर चल भि नहि सकति मै! सुबक सुबक!"
हर्के रंगिला- "हम्म....... अपुन समझा! अपुन सब समझा अब!, अपुन अब्बिच गन्नुभाईके पास जाएंगा, और उससे हि सब बात बोलेंगा, अब रिठे काणा पागलखाने नक्को, रामपुरैयाके साथ नरकको जाएंगा हि जाएंगा!...अबे ओ पुरैया पकिहा, गाडि स्टार्ट कर, आज गेम बजानेका दिन आगेला है!"


(सिन ३ (पछि मात्र)


 

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