Posted by: perfectionist January 19, 2010
चौतारी-१७३
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<<<अबे कोल्डड्रिङ्क्स के खालि बोतलके मुडे हुवे स्ट्र>>>

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अबे भुकम्प पे उजडि हुवि इमारत>>>

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ये भुतनीके काणा सठियागेला है, तु अब्बि के अब्बि
राहुल डक्टरका नम्बर घुमा और इसको मैन्टल वार्डमे चल्ता कर और मेरे कु हवा
आने दे! साला दिमागका दहि करदिया काणे ने!>>>
महालोल, आइया BMLB


अव्सम जिम्मालबा अव्सम। जहाँपना तोहफा कबुल करो


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लौ हेर्दा हेर्दै पुरे ले नि घच्ची को चौतारी बनाउन थालेछ ! लौ पुरे फलोस फुलोस उन्नती प्रगती बाहेक अरु केही सुन्न नपरोस ! >>>

रिट्ठे ब्रो, हेर्दा हेर्दै नि, अब क्यार्नु जवान ठिटो मै यौउटो बाँकी भे'छी, यस्सो हात्-खुट्टो त चलाऊन परिगो नि, मखुला?



अ बैरे, तिम्रा नि पोल छन अब खोल्न बन्द गर्नलाई
, सप्पैलाई थाहा नहोला नि, खै कुरो बुझ्या??
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