Posted by: Madness January 11, 2010
चौतारी १७१
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मदनवाके सवसथानि कथा, अधेए - एक


कुमारवा आज्ञ् करेछ अरे अगस्तवा मुनि, सवस्थानि दैवि ऐसन छ कि ऊ को बयान सुसरा लाखोँ जिभवाला शेइसनाग भि करनेको सक्तेन, हमि सिधा देहाति कैसन कर्छ?हँ? उ हमि करनेको सक्तेन। त तहाँ उप्रन्त् पुनटे बुह्रोके तालु पतन भयो, हुवाँ तालुस्वर महादेव जो छ ऊ आइके गंजा चरस ताइनके तपस्या कियो,सवसथानि दैबि प्रकट भइके डराँग कारटैल बननेको वरदान दियो और सुसरा शिबशक्ती स्वरुपसे रहिलियो। फिर जाईके पुनटे बुह्रोके जिभ पतन भयो, हुवाँ जिभेस्वर महादेव आईके फोहर फोहर बोइलके तपस्या कियो, सवसथानि दैवि प्रकट भईके मुह छाडनेको उस्ताद बननेको बरदान दियो और सुसरा शिबशक्ति स्वरुप से रह्यो। तहाँ उप्रान्त्...सला बहुते ज्यादा उप्रान्त् छ सवसथानिमे, त उकरके बाइदमे पुनटे बुह्रोके भुँरि पतन भयो, हुवाँ भुँरिस्वर महादेव जो छ ऊ आइके तपस्या कियो, सवसथानि दैवि प्रकट भैके भुँरि भरनेको वरदान दियो और ऊ बहुत खाइ-पिके भुँरि भइर भइरके शिबशक्ति स्वरुप से रहिलियो। उ को बाइदमा पुन्टे बुह्रोके जो छ ...बाप रे कैसन कैसन बात छ सवसथानिमे। ऊ पतन भएको बात हमि भन्देन। सवसथानिके कहानिमे एक्टा टविस्ट लियावँछ हमि। त गोमा बराम्हनि जो थियो उ सुसरी सिरफ सात सालके थियो, और दिखनेमे खुसिया सुन्द्री जैसन खसबुरत थियो। पर हमरो शिब् शर्मा बुह्रो जो थियो ऊ सुसरा थियो पुरे पिचहत्तरके। पर सुसराको बुह्रो चमडिमा पुरे जवानिको उबाल थियो। भिख माइग माइगके ऊ बुरबक जिन्द्गी चलावँथियो, त एक दिन ऊ को खराब नजरिया जो छ ऊ गोमा बरामहनिपे गियो। भन्यो सुसरा कि यो गोमा जो उ ऊ को हमि लुगाई बनावँछ। त गोमाको बाप जो थियो ऊ भि बुह्रो थियो जिमवाला बुह्रोके जैसन, त गोमाको शादि गौना करनेको लागि ऐसन लरका ढुँढनेको गियो जैसन राहुलभैया फुँकनेको लागि सिग्रेट खरिदनेको जान्छ।हुवाँ रिठे दाजु जैसन हैन्डमवा लरका लोग थियो, हर्के दाजु जैसन बाँडि बिल्डरवा छोकरालोग तियो पर सुसरा सिरफ उ शिबशर्माको देख्यो और बुह्रोके साथ शादि बनाइदियो गोमाके। बुह्रोके त सला लाइफवामे चांदि हि चांदि! जितना सला दिन बित्छ ऊ त बुह्रो हुन्दै जान्छ, पर गोमा जो छ तर्नि हुँन्दै जान्छ। लाइस्टमा आईके सुसरा गोमाको भुँरि बोकायो पर ऊ चाहिँ पेडसे गिरकर मरिहाल्यो। बेचारि गोमा भरिजवानिमे बिधवा भयो। दुसर अधेयमे हमि सालि नदिके बात कर्छ, हमि कोनो गालि दिएछेन, जब सुसरा नदिके नाइम हि सालि छ त हमरो कथि दोश?
अरे इति असकन्द पुराने
माइघ महात्मै सवसथानि नम

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