Posted by: Madness January 8, 2010
चौतारी १७१
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जे राम जि कि लहरे जादु और खुसिया सुन्द्री।


वहि बात हम भि सोचे थियो खुसिया सुन्द्री हमि सुसरा काहेको कोनो रथ पाएन? ऊ एक्टा रथ त हमको भि चाहेछ चाहेछ। कौन सा रथ सैटैबल हुन्छ हमको उ हमि सोचके बतावँछ, पर एक्टा बात हमि हियाँ अभि बतावँछ। हमि भनेथिएँ कि सुसरा जारो जो छ बहुते कडाकेको छ। पर अचानक हमिलाई न्यानो लगेछ, हमि सोच्देथिएँ कि काहेको न्यानो आएछ, अइब जा के मालुम कियो कि खुसिया सुन्द्री आएछ, खेँ खेँ खेँ


जे राम जि कि।

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