Posted by: Madness December 21, 2009
~चौतारी १६९~
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देहात बाट मदनवाको आ.वा


हमरो लैटरवा पइढके और लैटरवामे लिखेको इमोशनवा देइखके खालि खुसिया सुन्द्री और रिठे दाजु हि हमिलाई सान्त्वना दियो और कोनो सुसरा दिएन। रिठे दाजु भि दिन्थेन ऊ त मारनेको आवँथ्यो, बस् पहले खुसिया सुन्द्री दियो त सुसरा सोच्यो कि देनेको पर्छ। त दुखके ई सान्त्वनामे भि हमि बहुते खुस छु, खुसिया सुन्द्री जो हमरो तकलिफ बुझेछ आइज।


खेँ खेँ खेँ..... तपाईहरु सोचेहोला कि हियाँ काहेको खेँ खेँ खेँ,  उ त हुजुर हमिलाई पुन्टे बुह्रोको थोबडा याद आइलियो खेँ खेँ खेँ

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