Posted by: Madness December 17, 2009
~चौतारी १६९~
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 राम जाने फिर कैसन सला ऊ लैटरवा सार्वजनिक भईलियो, हमरो लैटरवा पइढके हमरो किरेजी हमिलाई एकटा लैटरवा लिख्यो। ऊ कथि लेख्यो हमि सनछेपमे बतावँछ, उ को लैटरवा हियाँ देखाउन्देन सला पराईवेसिको मामला जो छ। हमि अफ्नो लैटरवा मातर देखावँछ। त ऊ लिख्यो कि हमि लुङ्गिमे हैन्डसमवा दिख्छ और ऊ भन्यो कि ऊ हमरोसंग गन्नेके खेइतमे मिलनेको आवँछ। तब जाईके हमरो लाँव लैटरवा बिलकुल रोमैन्टिक मोड लिहाल्यो।तब हमि ऊ को ऐन्सरवा दियो कुछ ऐसन-

 


करेजी बुलबुल,


हमको तोहर गुलाबि गाल याद करके गुलाबजामुनके याद आइलियो।त दिल करेछ त करिहाल काहेको डर?? सला उ जो छ प्यार करने हरु कर्छ त देखने वाला जले जल्छ थोडि केहि मतबल छ हमिलाई? त तिमि भन्यो कि हम्रो लैटरवा पढके तिमि नाच्यो, त हमि इम्याजिन कियो तिमि नाचेको। हँ? त घाँघरा-चोलीमे कमरिया मटकाईके कैसन तिमि नाच्यो होला? हाय हाय सला याद मात्र करेको बाद  पुरे बदनवामे झुरझुरि आवँछ। एकबार हमि हम्रो गावँके टाँकिजमे सनिमे देखेथियो एक्टा, उ सनिमामे दिखाएथियो हाय हाय शिलपा जो छ कमरिया मट्काई मट्काईके युपि बिहार लुटेथियो। बस् हमि वहि याद कियो, पर हम्रो यादमा तिमि नाचेथियो और हमि देखेथियो और कोइ माईके लाल थिएन। बस तिमि और हमि थियो। त वहिँ बात आयो हम्रो लुङ्गिके। त हमि लुङ्गि लगावँछ लगावनेको, उ मैदान वैदानको बात काहेको करेको हमि शरमिला लरका छ। हम्रो देहातमे बिहान बिहान उठनेको बादमे दतिवन चबावँदै लोटामे पानी लेइके जाने बेलामा 'मैदान जाने' भन्छ खैँ.. खेँ.. खेँ...।
त वैन्टिलैशनवाके जो बात छ, त के कर्ने गरमि मे उ त चाहिन्छ, सला जगह जगह गरमि लाग्छ। उ जो डोरा बनियानके बात तिमि कियो उ हमि डोरा लगावँदेन हमि पुजाके बनियान लगावँछ पुजाके जाङ्घि लगावँछ। लरकि पुजाके हैन पुजा बरान्डके लगावँछ। त तिमि शरमसे पानी पानी भइलियो रे??? और फिर गन्नेके खेइत पे मिलनेको बात कर्छ??( बाप रे मदनवा तोहर किस्मतवा जागेछ) उ जो छ गन्नेके खेइतपे मिलनेको बात छ हमि मिलनेको आवँछ, पर उ बात ऐसन छ कि हमि शरमिला छ, अभि त हम्रो टाँका भिडेछ खेँ... खेँ.. खेँ..


तिमरो गबरु जवान
मदनवा


सला पुरानो बात याद आइके हमरो आँईखमे आन्सु आइलियो। कुछ देर हमि रुन्छ ऊ को बाइदमा बाँकि बात बतियावँछ।

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