Posted by: Rahuldai November 25, 2009
~ चौतारी १६५ ~
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लोल जिम्माल बा लोल
लोल पूण्टे दा लोल


हैन के बिघ्न हसाउन सक्या होला यी पाट्या बुढाहरुले । अहिले त यस्तो, उहिले कस्तो थियो होला। लरकीहरु त जुम्रासरी टाँस्या टासेइ होला। मखुला??

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