Posted by: perfectionist November 24, 2009
~ चौतारी १६५ ~
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हम से क्या भूल हुइ
जो ए सजा हम्का मिली

हैन दाई, मैले त्यस्तो के गरें लौ न भनम त, अन्जानमा केइ गल्ती भे माफ पाम भन्छु केरे। तर मैले त्यस्तो केइ गल्ती गर्या जस्तो त लाग्दैन। आखिर भो के
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