-गन्नुपुराण, अध्याय ६, चौतारी नैतिकपाठ
((गन्नुउवाच-))
गन्नुभाई- " अबे काणे!....अबे लंगडे!...अबे रंगिला!...कहाँ मर गए सबके सब?"
रिठे काणा- "गन्नुभाई! आप मेरे कु बुलाया भाई?"
गन्नुभाई- "अबे भुतनीके! सिर्फ बुलाया नक्को, गालि देके बुलाया!"
रिठे काणा- "खेँ खेँ खेँ भाई, आपके गालि भि अपुनको प्यार के माफिक लगनेका है!"
गन्नुभाई- "अबे चापलुसिके चासनि, अगर अपुन तेरि कनपटीपर अख्खा घोडा घुसेडेंगा तो काहेकि माफिक लगेंगा रे?"
रिठे काणा- " भाई आप भि न!"
गन्नुभाई- "अबे ये चौतारीपे सब पब्लिक लोग आज काहेकु टाँयटाँय कररेला है? कोई कैटरिना आरेली है क्या?"
रिठे काणा- "भाई कैटरिना नक्को आरेलि है,आज चौतारीका जनमदिन बोले तो हैप्पिबड्डे है भाई!"
गन्नुभाई- " तो?"
रिठे काणा- "तो सब पब्लिकलोग वहिच मनारेला है!"
गन्नुभाई- " पब्लिक लोग हैप्पिबड्डे मनारेला है कि तु मेरे कु बनारेला है?"
रिठे काणा- "भाई आप भि, अपुन भाईको कैसे बनानेको सकता है भाई?"
गन्नुभाई- "चल जान्दे! बोल कोइ आईटम वाईटमका डानस देखनेको मिलेंगा क्या?"
रिठे काणा- "भाई आप भि सुब्बो सुब्बो आईटम खोजरेला है!"
गन्नुभाई- "काहे कु रे छुछन्दरकि दुम? सिरफ तेरेको हि जवानि सुझति है रे क्या?"
रिठे काणा- "खेँ खेँ खेँ भाई, आप तो बिलकुल जवान है भाई। आप मेरे पैदा होनेके टेमपे भि जवान था और आज भि है भाई, बिल्कुल दुरस्त् सलमानखान लगरेला है भाई!"
गन्नुभाई- "क्या बोला तु कुत्तेके मुहपे फँसेले हड्डि? अपुन सलमान खान दिखता है क्या? तेरेकु आज चौतारिके जनमदिनपे लुढकनेका है क्या?"
रिठे काणा- "माफ करना भाई, अपुन गुलशन ग्रोवर बोलरेला था"!
गन्नुभाई- "हाँ अब ठिक है! आगे बक्!"
रिठे काणा- "भाई वो आईटमका डिपारटमैन्ट अपुनका हर्के रंगिला देखरेला है!उसको फोन लगाउँ क्या?"
गन्नुभाई- "हाँ फोन लगा और एक से एक करारि आईटमको लानेको बोल्!"
रिठे काणा- " "
गन्नुभाई- " अबे काणे, सो गेला है क्या?!"
रिठे काणा- " "
गन्नुभाई- "अबे आखिरि खजुरके किडे लगे बिज, मेरेको सुनता नक्को रे? किधरकु देखरेला है?"
रिठे काणा- " भाई वो, आज दीपीका हठेलि आएलि है देख भाई खसबुरत दिखरेलि है!"
गन्नुभाई- (घोडा निकालते हुवे) "अबे साँपके बिलमे घुसे हुवे चुहे, आईटमकि बात होरेली है और तेरा खडुस आँख दिपीकाको घुररेली है? तु मरेंगा हि मरेंगा आज अपुनकि हाथ से! बेहेन हे अपुन कि वो! जो उसको देखेंगा अपुन उसका आँख निकालेंगा, जो उससे बात करेंगा अपुन उसका जिभ काटलेंगा, जो उसको छुएंगा अपुन उसका हाथ काटदेंगा! कोई चौतारीके छोकरीको आँख लगानेका नक्को! सब पबलिकके साँणे लोगको बोलता है अपुन! याद करनेका!...तु तो गया काणा! तु तो काम से गएला हि गएला!"
(रिठे काणा चुपचाप खिसकके गायब होता है)