Posted by: nepal_rocker August 14, 2009
BBC HINDI DESCRIBE HISILA YAMI AS PRACHANDA WIFE!!!!!!!!!!
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प्रचंड का चीन की ओर झुकाव से इनकार









पुष्पकमल दहाल प्रचंड

प्रचंड का दावा है कि चुनाव हों तो उनकी पार्टी को दो तिहाई बहुमत मिल जाएगा




नेपाल
के माओवादी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहाल ‘प्रचंड’ ने कहा है
कि भारत का ये विचार पूरी तरह ग़लत है कि वह चीन के प्रति झुकाव रखते हैं.


बीबीसी हिंदी सेवा से एक विशेष बातचीत
में ‘प्रचंड’ ने कहा, “मेरे विश्लेषण के हिसाब से भारत समझता है कि मैं
चीन की ओर झुकाव रखता हूँ. ये एकदम ग़लत है. इतने संवेदनशील मामले में
मैंने कभी खेलने की कोशिश नहीं की. मैं बार-बार कहता हूँ कि भारत के साथ
हमारे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध रहे हैं. साथ ही हम चीन से भी अच्छे
संबंध चाहते हैं”


उन्होंने कहा,
“विपक्ष के साथ बातचीत के दौरान भारत ने पूरी तरह हमारी मदद की लेकिन
दुर्भाग्य से चुनाव और फिर मेरे प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत की गर्माहट
कमज़ोर हुई और अब उसके रुख़ में ठंडापन आ गया है.”


ये
पूछे जाने पर कि क्या भारत के रुख़ में आए ठंडेपन का कारण ये तो नहीं कि
माओवादी उसकी उम्मीद के विपरीत चुनाव जीत गए- ‘प्रचंड’ ने कहा, “हो सकता
है कि यही बात हो, लेकिन मैं पूरे यक़ीन के साथ ऐसा नहीं कह सकता.”


उन्होंने
कहा है कि उस दौरान लोगों को ये यक़ीन था ही नहीं कि हमारी पार्टी इतने
भारी समर्थन से जीतेगी. उनके लिए ये आश्चर्य की बात थी. लेकिन अगर चुनाव
हो जाएँ तो आज भी हमारी पार्टी दो तिहाई बहुमत से जीतेगी.


‘प्रचंड’
ने सरकार बनाने के आठ महीने बाद इसी साल मई में प्रधानमंत्री पद से
इस्तीफ़ा दे दिया था. माओवादी पार्टी की जनमुक्ति सेना के लड़ाकों को
नेपाली सेना में भर्ती करने के मुद्दे पर उन्होंने सेना प्रमुख जनरल कटवाल
को निकाल दिया था. लेकिन राष्ट्रपति रामबरन यादव ने प्रधानमंत्री के
फ़ैसले को पटलकर जनरल कटवाल को बहाल कर दिया था. इसी विवाद पर ‘प्रचंड’ ने
इस्तीफ़ा दे दिया.


संघर्ष जारी





विपक्ष
के साथ बातचीत के दौरान भारत ने पूरी तरह हमारी मदद की लेकिन दुर्भाग्य से
चुनाव और फिर मेरे प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत की गर्माहट कमज़ोर हुई
और अब उसके रुख़ में ठंडापन आ गया है



पुष्पकमल दहाल 'प्रचंड'





अब
उनकी पार्टी ने इसी मुद्दे पर दो महीने तक आंदोलन चलाने की घोषणा की है.
इस घोषणा के तुरंत बाद ‘प्रचंड’ पत्नी हिलिसा यामी, पुत्र प्रकाश दहाल और
कुछ पार्टी नेताओं के साथ ब्रिटेन की यात्रा पर आए.


बीबीसी
से इस इंटरव्यू में ‘प्रचंड’ ने कहा कि जब तक ये सवाल सुलझ नहीं जाता कि
नेपाल में नागरिक सत्ता ऊपर रहेगी या फ़ौजी सत्ता, तब तक हमारा संघर्ष
जारी रहेगा.


उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति रामबरन यादव ने जनरल कटवाल को बहाल करके संविधान की मान्यताओं के ख़िलाफ़ काम किया है.


शानदार
सलेटी सूट, टाइ और चमचमाते काले जूते पहने ‘प्रचंड’ अपने नाम को जैसे
झुठलाते से नज़र आते हैं. चे ग्वेवारा की विश्वविख्यात तस्वीर के कारण
क्रांतिकारी नेताओं की जो प्रचलित छवि आम मानस में बन चुकी है, प्रचंड उसे
हर क्षण ध्वस्त करते दिखते हैं.


टाइ-सूट
वाली इस कारपोरेट वेशभूषा में वो एक क्रांतिकारी की बजाए प्रशासनिक
अधिकारी या उद्योगपति ज़्यादा लगते हैं. इसी आधुनिक लिबास के कारण उनके
आलोचक उन्हें निशाना बनाते रहे हैं और उनकी जीवन शैली पर सवाल खड़े करते
रहे हैं.


लेकिन प्रचंड इस सवाल पर हँसते हैं
और कहते हैं कि हम इक्कीसवीं शताब्दी के पहले दशक में हैं और हमें आज के
यथार्थ में ही जीना पड़ेगा.


राजनीतिक उत्तराधिकारी





उसे
पार्टी के उद्देश्य के लिए काम करना पड़ेगा. अगर वो प्रतियोगिता में खरा
नहीं उतरा और खुद को तैयार नहीं कर पाया तो वो मेरा उत्तराधिकारी नहीं
बनेगा



पुष्पकमल दहाल 'प्रचंड'





इंटरव्यू के दौरान मौजूद उनके बेटे प्रकाश दहाल के बारे में सवाल पूछा गया कि क्या आपका बेटा आपका राजनीतिक उत्तराधिकारी बनेगा?


‘प्रचंड’
ने जवाब दिया, “मैं नहीं कहता कि वो मेरा उत्तराधिकारी बनेगा. उसे देश और
जनता की सेवा करनी होगी. उसे पार्टी के उद्देश्य के लिए काम करना पड़ेगा.
अगर वो प्रतियोगिता में खरा नहीं उतरा और खुद को तैयार नहीं कर पाया तो वो
मेरा उत्तराधिकारी नहीं बनेगा.”


लंदन के
नेपाली दूतावास में इसी हफ़्ते विपक्ष के नेता की हैसियत से अधिकारियों ने
उनका स्वागत किया. दूतावास की इमारत के रख-रखाव संबंधी जानकारियों की
ब्रीफ़िंग के दौरान उनके चेहरे पर बोरियत के भाव साफ़ पढ़े जा सकते थे.


नेपाल
से आने वाले विशेष मेहमानों को दूतावास के परिसर में ही बनाए गए एक मंदिर
में ले जाने की परंपरा है. जब अधिकारियों ने प्रचंड से वहाँ चलने का आग्रह
किया तो उन्होंने इनकार तो नहीं किया, पर वो मंदिर जाने की बजाए लॉन में
टहल कर इमारत में लौट आए.


आख़िर नेपाल को
हिंदू राष्ट्र से गणराज्य में तब्दील करने में पुष्पकमल दहाल ‘प्रचंड’ की
महत्वपूर्ण भूमिका रही है. उन्होंने दस साल तक नेपाली सेना और पुलिस के
ख़िलाफ़ गुरिल्ला युद्ध का नेतृत्व किया.


जनांदोलनों
के ज्वार के बाद हुए चुनाव में उनकी पार्टी सबसे ज़्यादा सीटों पर जीती और
आख़िर संसद ने मई 2008 में ज्ञानेंद्र शाह को राजगद्दी से हटाकर 240 साल
पुरानी राजशाही का अंत किया. नेपाल पहली बार एक गणराज्य बना.



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