Posted by: perfectionist June 24, 2009
~ * चौतारी १४७ *~
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प्रणाम लहरे अन्द दिपिका।

लौ अचम्मै भो बै, दिपिका अनी सान्नानी आज कताबाट बाटो बिर्सेंर आयौ त, अचम्मै भो नि, सबै सञ्चै चौ होला केरे भन्ने मानेछु
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