Posted by: Nepe May 25, 2009
असारे फूल र एक जोडी आँखा।
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परस्तिश = adoration, worship


इबादत = devotion, prayers


जज़बाँ जज़्बात = emotion, feeling, enthusiasm, rage


रूबरू = face to face


बेजा = unnecessary


बेजाँ = lifeless


तक़ल्लुफ़ = Etiquette, Manners


बग़ावत = rebellion


 


किसी पत्थर की मूरत से मुहब्बत का इरादा है


परस्तिश की तमन्ना है, इबादत का इरादा है


किसी पत्थर की मूरत से ...


 


जो दिल की धड़कनें समझे न आँखों की ज़ुबाँ समझे


नज़र की गुफ़्तगू समझे न जज़बों का बयाँ समझे


उसी के सामने उसकी शिक़ायत का इरादा है


किसी पत्थर की मूरत से ...


 


मुहब्बत बेरुख़ी से और भड़केगी वो क्या जाने


तबीयत इस अदा पे और फड़केगी वो क्या जाने


वो क्या जाने कि अपना किस क़यामत का इरादा है


किसी पत्थर की मूरत से ...


 


सुना है हर जवाँ पत्थर के दिल में आग होती है


मगर जब तक न छेड़ो, शर्म के पर्दे में सोती है


ये सोचा है की दिल की बात उसके रूबरू कह दे


नतीजा कुच भी निकले आज अपनी आरज़ू कह दे


हर इक बेजाँ तक़ल्लुफ़ से बग़ावत का इरादा है


किसी पत्थर की मूरत से ...


 


 

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