Posted by: बिस्टे March 24, 2009
~ * चौतारी १४३ *~
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हैन चौतारी तल फेदमा पुगिसको के हेरेर बसिरा हँ सबजना।
अरु त अरु ठुल्दाइ नि गणेश को लड्डु खार लड्डु जस्तरी बस्नु भाछ।


कि त्यो मैले ब्यान ल्या लड्डु भाङ को लड्डु त परेन। सप्पै जना ढले कि के हो लड्डु खार।


लौ आफु ले त टन्न हसुरियो अब एक कप चिया लेर बसे म त।



अनी रिट्ठे मार्साप के छ् नयाँ नौलो, ज्याउसन डाँडा तरुनी हरु के भन्छन?


केली ओ केली...........
लहरे ओ लहरे ............
चिप्ले ओ चिप्ले .............
ठुल्दाइ ओ ठुल्दाइ ............
रिट्ठे ओ रिट्ठे ...............
हर्के ओ हर्के ..............
पुरे ओ पुरे ................


कता मरे सप्पै ................................................

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