Posted by: perfectionist January 29, 2009
~ * चौतारी १३८ *~
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एह बाबै, आज त चिया र केक रछ, लौ है केली तिम्रा मनोकामना छिट्टै पुरा होस्, आज चाँहीं दर्हो सुरुवात भो है, लौ सब गाम्लेलाई मेरा तारेमाम है।

मन्दिर गएर आका कोइ छन कि एस्सो पुन्य साटा-साट गरुम लौ
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