Posted by: Birkhe_Maila December 23, 2008
~ * चौतारी-१३६ *~
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रिठे काणा- "गन्नुभाई गन्नुभाई!"

गन्नुभई- "अबे भुतनिके, काहे कु परकटे कबुतरके माफिक फडफडारेला है? तेरा टेँटुवा दबगया रे क्या?"

रिठे काणा- " नक्को भाई, वो बोले तो आजकल अख्खि चौतारी भुतमहलके माफिक होरेला है?"

गन्नुभाई- "काहे कु रे? उधरको तो सब टपोरि लोग सु्ब्बो से लेकरके शामतक मिमियारेला होता था!"

रिठे काणा- "वहिच बोला भाई अपुन,लगता है चौतारीके लोग चौतारीसे उबगेला है!"

गन्नुभाई- "उब काहेको गेला? वो सब टपोरि लोग, दीप हठेला, राहुल रंगोली, हर्के रंगिला, बिर्खे हठेला,

सन्नोबाई, बन्नोबाई, भगुत भाडगोडे, पुन्टे पेजर सब्के सब खिसकगेला है क्या?"

रिठे काणा- "मालुम नक्को भाई! वो दीप हठेला बोले तो कोइ शुभेक्षा करके छोकरीके पिछ्छु भागरेला था!"

गन्नुभाई- "पिछ्छु भागरेला था? अबे बिन तेलके दिया, वो हठेला तो आईटम लोगको अपने पिछ्छु भगाता था, कब से आइटमके पिछ्छु भागनेको लगा?"

रिठे काणा- "भाई वो जबसे कोइ शब्बो करके छोकरी उसको चकमा देके भागगेलि न हाँ वहिच दिन से बोले तो देवदासके माफिक दाढिवाडि उगाके बैठरेला था,बादमे कोई बाङ्गे बनवाडि करके छोकराके साथ छोकरिके पिछ्छु भागनेको लगा!"

गन्नुभाई- "अब ये बाङ्गे बनवाडि किधरसे टपका?"

रिठे काणा- "मालुम नक्को भाई, पन अपुनको लगता है कि वहिच एक छोकरा है जो अपुनका भि कोइ आइटमके साथ सेटिङ कर सकता है हेँख हेँख हेँख!"

गन्नुभाई- "अबे काहेकु हंडि जैसन थोबडेपे सफेद बत्तिसि दिखारेला है, तेरे इस जनममे तो मेरे कु नक्को लगता कि कोइ आइटमसे सेटिङ हो सकति है! अबे भुतनिके कब्बि कब्बि आईना भि देखनेको मांगता, कन्फुज होता हैन, जब साला शदाशिब अमरापुरकर अपनेको सलमान खान समझने लगता है हेँख हेँख हेँख!"

रिठे काणा- " भाई आप भि न!"

गन्नुभाई- "अछ्छा बोल,वो पुन्टे पेजर किधरको चम्पत हो गेला, कहिँ अपनिइच माथेपे फिसलके गिरगेला क्या? हेँख हेँख हेँख?"

रिठे काणा- " भाई वो कोइ बोलरेला था कि, पुन्टे पेजर आपके बाप बोले तो शंकरियाके खोलि कैलाशपे गएला है!"

गन्नुभाई- " कैलाशपे अपुनके बापके पास काहे कु गया रे वो नासपिटे?"

रिठे काणा- " भाई वो बोलरेला था कि, आपका बाप शंकरिया जटाधारी जटा बोले तो बालका सेठ है,आपके बापको वो पसंद आया तो कोइ इक्का दुक्का बाल उसके उपर फेँक देंगा, जिससे बेचारेकि सारि पनौती धुल जाएँगा!"

गन्नुभाई- " अछ्छा बोल, और लोग किधरको गया?"

रिठे काणा- " भाई वो तो, कुछ टपोरि लोग चौतारीमे आएँगा तो बोलेंगा, नहिँ तो अपुनकि बात कौन सुनेंगा!"

गन्नुभाई- (सिना फुलाते हुवे)" साला काणा, सयाना होगेला है अपुनके साथ रे रे के!"

रिठे काणा-

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