Posted by: Madness December 12, 2008
~ * चौतारी-१३६ *~
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हमरो किस्मतिया-

एक आँखसे लरकि दिख्छ दुजि आँखसे बरबादी
लग्छ हुजुर लिखे छेन हमरो किस्मतियामे शादी

दोस्त लोगन लेइके आवँछ छोरा छोरि और बुह्री
लरकि नजदिग केले आवँदेन काहेको ऐसन दुरी?
बनवारीके बेटि भि गियो, अहिले माँ बनेछ रे सुसरी
हमरो सला बोहनि भए छेन भोला लियाएछ दुसरी

बंटि मुछ्छड भि शादि बनायो उसके रंगिन रात छ
गजोधर टकला गवाँरके भि शादि करनेको बात छ
अब त सुसरा सोचेँछु कि बाबा बइनके चलुँ बनारस
कोहि जोगन भेटेँ पुग्छ लाइफमे, अब् यहि चाहेछ बस्

एक आँखसे लरकि दिख्छ दुजि आँखसे बरबादी
लग्छ हुजुर लिखे छेन हमरो किस्मतियामे शादी

जे राम जि कि।


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