Posted by: ritthe December 11, 2008
~ * चौतारी-१३६ *~
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कविता पुरा गर्नुहोस (नोट: मदनवाले भाग लिन नपाऊने)

लरकि ढुढ्दा ढुढ्दा हम्रो जोबनिया गएछ

आज सुबह ऐना हेर्दा ------------  भएछ

कनपटिके दुबै तरफ दु-चार गो बाल फुलेछ

लरकिके टेन्शनवामे हमि ---------- भुलेछ

अब तो सुसरि जिन्दगिके आधि कुरो गएछ

अचानक थाहा पायो सला ----------भएछ

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