Posted by: ritthe December 11, 2008
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कविता पुरा गर्नुहोस (नोट: मदनवाले भाग लिन नपाऊने)
लरकि ढुढ्दा ढुढ्दा हम्रो जोबनिया गएछ
आज सुबह ऐना हेर्दा ------------ भएछ
कनपटिके दुबै तरफ दु-चार गो बाल फुलेछ
लरकिके टेन्शनवामे हमि ---------- भुलेछ
अब तो सुसरि जिन्दगिके आधि कुरो गएछ
अचानक थाहा पायो सला ----------भएछ