Posted by: serial November 11, 2008
~ * चौतारी-१३४ *~
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यो चाँही चेलीको  लागि  है


चान्द पर काली घता छाती तो होगी,
सितरो मे चमक आती तो होगी।
तुम लाख छुपाओ दुनियाँ से, मगर आकेले मे
तुम्हे अप्नी सकल  पे हंसी आती तो होगी

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