Posted by: serial November 7, 2008
~ * चौतारी-१३४ *~
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एक ख्वाब था, कि तु मेरे ख्वाबो मे आएँ
विरान रातोको मेरी, तु रोशन बनाए
नाचीज का ख्वाब एक फसाना बन गया
ख्वाब मेरा बस ख्वाब हाइ रेह गया ।।।

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