Posted by: Maaili_Budhi October 28, 2008
तिहारमय चौतारी ~१३२~
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ए बा हर्के मेरो त काना को जालि नै फुटो कि के हो यो आलु बम हो कि के जाति ले
लउ भट्टउचु है
आहइ झिलिमिलि झिलिमिलि
के को झिलिमिलि
हर्केका घरा सुनचादि झीलिमिलि
आहइ हर्केका घरा आहइ लछमि पसिन
आहइ पसिन पसिन


 राहुलभाइ नाति लछमि पुजा लाइ त निकै टेम लार पुजा आरेचउ त बा

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