Posted by: Rahuldai October 6, 2008
दशैं विशेष - चौतारी
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क्यूं जिन्दगी के राहें मे मजबूर हो गये
इतनी हुये करीब कि हम दूर हो गये

ऐसा नही के हम को कोइ भि खुशी नहिं,
लेकिन ए जिन्दगी तो कोइ जिन्दगी नहीं
क्युं इसके फैसले हमें मन्जूर हो गये

पाया तुमे तो हम को लगा तुमको खो दिया
हम दिल पे रोए  और यहाँ हम पे रो दिया
पलको सें ख्वाब गिरे कि चूर हो गये

 

 

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