Posted by: Birkhe_Maila September 23, 2008
~ * चौतारी-१२९*~
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जेष्ट भ्रातास्य चिलिम ब्रेक बिधि ब्याख्य अध्याय:

एत चौतारी नगरस्य सर्व जेष्ठ भ्राता हस्तस्य स्वेत लम्ब धुम्र चुसिका ग्रहणन्ति मुखारवृन्दभ्यामि मुसुमुसु हँसियन्ति द्वारानि बाहिरानि लुसुक्किएन्तु। ततपश्चात म्लेक्षस्य देसस्य बनन्ति लाइटर नामस्य अग्निप्रज्जवल्लक प्रज्जवालानि तथा श्वेत लम्ब धुम्र चुसिका सल्कयान्ति। एक लम्ब पफ मुखस्य बाटो फोक्सस्य घुसाइन्ती केहि मुमेन्ट घोरियन्ति तथा ठुसुक्क मुख पारन्ति ततपश्चात फोक्सेन धुम्र फिर से मुखस्य बाटो बाहिरस्य फालन्ती और अपुष्ट स्वरस्य मुखरावृन्दस्य तारेमाम जपन्ती! ततपश्चात भुतकाल तथा वर्तमानकाल बिचरयन्ति, कहिले मरुहिटि पुगन्ति त कहिले लौहपथगामि सवार भइ इलाहाबाद पुगन्ति, युवाअवश्था बिचारयन्ति और लम्ब निश्वास फेरन्ती। यथेस्ट भुत बिचार तथा धुम्र फोक्सेन ग्रहणपश्चात अंगुलिश्य च्यापन्ति ठुटो फुत्त फालन्ति तथा एन समयेन सुरु भएल उदरस्य गुडुगुडुस्य ध्यानम जावन्ति त छिटोछिटो शौचालय घुसियन्ती। केहि समयभित्रानि चौतारी नगरस्य आवति संभावना अबस्तु।

लोलम!

 

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