Posted by: Birkhe_Maila September 23, 2008
~ * चौतारी-१२९*~
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एकादेशेन लहरेकान्त लाकौल नामस्य मनुष्य भवति। सो मनुष्य चौपाय, जलचर, थलचर, उभयचर किट पतंगादि दर्सनाभिलाषि चिडियाघर धावन्ति। टिकट काटन्ति र सरपट भागन्ति। एत मुमेन्टेन एक ब्याघ्र पिंजडादि तोडन्ति गर्जयन्ति और यसरि धावन्ति धावन्ति धावन्ति कि लहरे मनुष्य मुखारवृन्द अगाडिस्य पुगियन्ति।ब्याघ्र लहरेस्य पश्यनति लहरे व्याघ्रस्य पश्यन्ती, एक पश्यन्ति दुइ पश्यन्ति तिन पश्यन्ती। तदनुपरान्त व्याघ्र फिर से वापस धावन्ति धावन्ति और धावन्ति, ततपश्चात पुन: पिंजडाभित्रस्य पसन्ती। लास्टमा आएर एक पत्रकारवन्धु पिंजडा सामिप्य गयन्ती एन्ड व्याघ्रस्य सोधन्ति कि काहे कु एक बार टोडन्ति पिंजडाभित्र फिर से पसन्ती त व्याघ्र रिप्लायन्ति कि पिंजडा बहिरस्य सम्पूर्ण मनुष्य यदि लहरेभाँति बिभत्स भवन्ति त उससे बेटर लाइफ पिंजडाभित्रस्यै भबन्ती। ततपश्चात पत्रकारबन्दू ट्वाँ परन्ति।

लोलम् लोलेभ्याम लोलन्ती!

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