Posted by: बिस्टे September 5, 2008
** चौतारी १२७ **
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क्या अर्दै छौ पातकी हो, माइली बुढी आर गैसैचिन तल भ्हन्ज्याङ सम्मा सुन्या थे बुढी को फत फत।
ठुल्दाइ :जदौ अरे है,

लहरे : छु ख् पासा:,

चिप्ले: को मुग्लान कथा पढ्न भ्या छैन अब कती भाग जती होला एकै चोटि भ्याउने बिचराँ छु।

रिट्ठे पाट : आज फ्राई डे को दिना नि के आलु परठा खान्छउ, आज त सबै फ्राई कुरा खानु पर्छ गिदी

 फ्राइ जिब्रो फ्राइ आदी इत्यादी।

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