Posted by: ritthe August 19, 2008
** चौतारी १२६ **
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अब्बे ओ लंगडे छिप्कली के दुम शुबे सुबे काइकु भेजे खराब कररेहेला बे? बन्नो आती है तो अप्पुन के खातिर आती है और नही भि आती है तो अप्पुन से चित्त  दुखाके नही आती है, फिर तु दुम्सी कि तरह काइकु टायटाय करके फिररहेला है इधर? अभी ज्यादा बक बक किया ना तेरेको इधरिच गेम बजा डालेगा अप्पुन, क्या? गेम !

बन्नो के खातिर अप्पुन गीत भि गाएगा तो ऐसा गाएगा-

दिलके टुकडे टुकडे करके मुस्कुराके चल्दिये
जाते जाते ए तो बता जा हम जिये फिर किस्के लिए?

अरे सन्नो तुही तो रख्खेली है अप्पुन का नाम बरगन्डे ! फिर तु हि हसरेहेली है काइकु? अभ्ही अप्पुन का मायली बजइ आएगी तो, तुम सब को बोले तो पाता फर्काने को बोलेगा अप्पुन !

 

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