Posted by: Maaili_Budhi July 29, 2008
~ चौतारी १२४ ~
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लहरे नाति जा ने ढुन ला छ  नकराइ त बस्न सउतिन का म क्याआरचउ केटाटि देखि लाऔ बानि का जान्च र का रिठे लाइ नगिजाइ मेरो मुखा ट भात उदो जान्न क्यार्नि तनि

 

हर्के बजिया नि आइच्चन रचन हिलो हर्के के छ

रिठे नाति मेरो नाति लाइ बुआरि भन्चऔ तिमालइ तिमलाइ तिमलाइ सपै

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