गन्नुभाई- " अबे काणा, ये हठेला इधर काहेकु मररेली बिल्लिके माफिक झुकेला है?"
रिठे काणा- "भाई वो बोले तो अपुनका हठेला टेन्सनवामे है?"
गन्नुभाई- " काहे कु टेन्सनवामे है रे हठेला तु?"
दीप हठेला-( सर उठाते हुवे) " भाई अपुनको बोलनेका दिल नक्को है रे!"
गन्नुभाई- (दीप हठेला और रिठे काणा दोनोको देखते हुवे) " अबे क्या हुवा रे? तेरि विवि भाग गइ क्या? तेरे
बच्चे यतिम हो गए क्या?"
रिठे काणा- "नक्को भाई, वो अपुनका हठेला जो है चुकुल बन्द करके उसका चाबि भुलगेला है!"
गन्नुभाई- " चाबि भुलगेला है? अबे फकिरके घरके आखिरि चावल, तो नवाँ बनानेका इसके टेन्शन काहे कु?"
रिठे काणा- " भाई वो नवाँ बनानेके वास्ते गएला था पन उधर रस्तेमे पतंगबाजीके चक्करमे फिर से भुलगेला है!"
गन्नुभाई- " अबे तरबुजसे निकलेला काला बिज, तब फिर से बनाकेका था न!"
रिठे काणा- " भाई फिर से बनानेको गएला था, पन इसबार भि वो कोइ शृङ्खला करके इपिसोडमे फँसगेला है
भाई!"
गन्नुभाई- "अबे बुझरेली आरतीपे बिखरेला फूल, ये बार बार फँस काहेकु जाता है रे?"
रिठे काणा- " भाई वो कोइ जिम्माल करके बुढउने इसको सपना दिखाके क्लाइमेक्सपे परदा गिरादिया!"
गन्नुभाई- "तो?"
रिठे काणा- "तो भाई जबसे उधर पँधेरामे रोमांसके टेमपे टकराकर गिरनेके बाद सरपे चोट खाया तबसे सब
क्लाइमेक्सके टेमपे भुलभाल जारेला है!"
गन्नुभाई-
" अब इस बिन दाडिके देवदासको कैसे ठिक करेंगा?"
रिठे काणा- " भाई सिम्पल है, एक मस्ट आइटम तरुनि ढुँढके लानेका और फटाकसे इसके आगे खडा
करनेका!"
गन्नुभाई-" हम्म्म...ठिक है काणा जल्दी जा और दो तरुनि ढुंढके ला!"
रिठे काणा- (दाँत दिखाते हुवे) " दो....ठिक है भाई,भाई तु ग्रेट है, साथ साथ मेरे लिए भि तरुनि लानेको बोला!"
गन्नुभाई- "अबे टमाटरके आखिरि दाने, तेरा भाई गन्नु भाई मरगेला है क्या?"
रिठे काणा- (ट्वाँ पड्ता है)