Posted by: तिका: July 25, 2008
~ चौतारी १२३ ~
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खेँ खेँ खेँ खेँ बिरादर, तु तो हमार गुरु है रे, यह हिन्दि तो अभि अभि पराउटिस कर रहे है । उधर बाहर गाम मे हम ने तो सभिका नीद हराम कर दिया रे । खेँ खेँ खेँ खेँ । सला वह हमार देशको हिन्दि परदेश बनादिया है ना, सला हमारा दिलमे अन्दरसे बहुत दर्द हो रहा है । सला देशके किच्चड बाहुन नेताओँ यह क्या किया रे ?

वैसे छोडो यह बात, ताडिवाडि खाके सो जाँऊ - ऐसा मन कर रहा है । जल्दी बना रे बिरादर ।

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