Posted by: susma manandhar July 16, 2008
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न्याये पाउँ हजुर -------सुस्मा मानन्धर ,ललीत्पुर्
बोल्दा बोल्दै ख्यालै भएन
दुखे,माफ पाउँ हजुर
सागर छाडी पानी खोज्न
अन्त कहाँं जाउँ हजुर
पुँजी भन्नु येही मन
येही ब्याज साउँ हजुर
मैला भये मान्छेका मन
देखीन सुकीलो ठाउँं हजुर
नीकै चोटि आयी सकें
अझै कती धाउं हजुर
सुन्वाइ हुने होकी हैन
लौन न्याये पाउँ हजुर
बोल्दा बोल्दै ख्यालै भएन
दुखे,माफ पाउँ हजुर
सागर छाडी पानी खोज्न
अन्त कहाँं जाउँ हजुर
पुँजी भन्नु येही मन
येही ब्याज साउँ हजुर
मैला भये मान्छेका मन
देखीन सुकीलो ठाउँं हजुर
नीकै चोटि आयी सकें
अझै कती धाउं हजुर
सुन्वाइ हुने होकी हैन
लौन न्याये पाउँ हजुर