Posted by: serial July 15, 2008
~चौतारी - १२२ ~
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जब से हुआ है वोह ख्वब कि तरहा
जिन्दगी गुजर रही है अजब कि तरहा
खुश्बु के कलम से शायद लिखा था उस्ने खुद
हर लफ्ज महक रहा है गुलाब कि तरहा।।।।।
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