Posted by: ritthe July 11, 2008
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न जी भर के देखा न कुछ बात कि बडी आरजु थि मुलाकात की
कही साल से कुछ खबर हि नही
कहाँ दिन गुजारा कहाँ रात थि
न जी भर के देखा न कुछ बात कि बडी आरजु थि मुलाकात की
उजालो कि परीया नाहाने लगि
नदी गुनगुनाइ खयालात कि
न जी भर के देखा न कुछ बात कि बडी आरजु थि मुलाकात की
ना चुप था तो चल्ती हावा रुक गयी
जबा सब सम्झते है जजबात कि
न जी भर के देखा न कुछ बात कि बडी आरजु थि मुलाकात की
सितारो को शायद खबर ही नही
मुसाफिर ने जाने कहाँ रात कि
न जी भर के देखा न कुछ बात कि बडी आरजु थि मुलाकात की