Posted by: ritthe July 11, 2008
~चौतारी १२१~
Login in to Rate this Post:     0       ?        

न  जी भर के  देखा न  कुछ  बात कि बडी आरजु थि मुलाकात की

कही साल से कुछ  खबर हि नही
कहाँ दिन गुजारा कहाँ रात थि

न  जी भर के  देखा न  कुछ  बात कि बडी आरजु थि मुलाकात की

उजालो कि परीया नाहाने लगि
नदी गुनगुनाइ खयालात कि

न  जी भर के  देखा न  कुछ  बात कि बडी आरजु थि मुलाकात की

ना चुप था तो चल्ती हावा रुक गयी
जबा सब सम्झते है जजबात  कि

न  जी भर के  देखा न  कुछ  बात कि बडी आरजु थि मुलाकात की
सितारो को शायद खबर ही नही

मुसाफिर ने जाने कहाँ रात कि

न  जी भर के  देखा न  कुछ  बात कि बडी आरजु थि मुलाकात की

Read Full Discussion Thread for this article