Posted by: Birkhe_Maila July 1, 2008
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किसनुद्दिन कालेब्बुर रहमान साहब- इस नाचिजकी गुस्ताख-ए-जुबानसे पेश हुवा निहायत हि फकिर-ए-लब्जको तारिफ-ए-हौसला खिदमत कर हुजुरने हमारी इमान-ए-शान को चार चाँद लगादिया! शुक्रिया और खुदा हाफीज!!