Posted by: Birkhe_Maila June 17, 2008
~चौतारी ११९~
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गन्नुभाई- " ये क्या हो रेला है?"

रिठे काणा- " भाई वो चौतारीके पब्लिक लोग चाय पिरेला है!"

गन्नुभाई- " तु सरकटि लाश अपुनको काहे कु नक्को पुछा रे चायके वास्ते?"

रिठे काणा- " भाई आप कब से चाय पिने लगे?"

गन्नुभाई- " अपुन सोचरेला है कि अपुन सब दारु वारु छोडछाडके चाय काँफि पिएंगा!"

रिठे काणा- " भाई आप फेँकरहे हो न भाई?"

गन्नुभाई- "तु कानसे भि काणा है क्या?"

रिठे काणा- " पन भाई, भाई और दारु नक्को कैसे होगेला?"

गन्नुभाई- (बाल मिलाते हुवे थोडा शरमाते हुवे) " वो बोलरेली थि कि दारु वारु छोडनेका!"

रिठे काणा-( ट्वाँ परते हुवे) " भाई! कौन वो भाई?"

गन्नुभाई- (और भि ज्यादा शरमाते हुवे) " अबे,  वो सन्नो!"

रिठे काणा- " कौन सन्नो भाई?"

गन्नुभाई- " अवे फटेलि दुधकी चाय तु सन्नोको नक्को पेचानता? वहिच भैँस वालि जो मेरे कु

मोबाईल नम्बर देगेली थि!"

रिठे काणा- " वहिच भैँस वालि जिसकि भैँस आप एक पेटिमे लिया?"

गन्नुभाई- " हाँ वहिच!"

रिठे काणा- " पन भाई वो मामुलि छोकरी जो बकरेलि है वो गन्नुभाई काहेकु करनेका?"

गन्नुभाई- " तेरेकु खलास होनेको मांगता क्या रे छुछन्दरकि दुम? फिर से तेरे  किडे लगे मुह से उसको मामुलि बोला न तो तेरा ये थोबडा कसाइके दुकानपे टंगे बकरेके माफिक बना डालेंगा अपुन! दिमागकि बत्ति जलाडालनेका और बात समझनेका!"

रिठे काणा- " भाई अपुन भि सयाना है न भाई, (बत्तिसि दिखाते हुवे) अपुन समझगेला है भाईको लाँव बोले तो प्यार होगेला है उस छोकरीके साथ!"

गन्नुभाई- (शरमाते हुवे, मुस्कुराते हुवे) " इस खालि डिब्बेके ढक्कनको अप समझमे आगेला है!"

रिठे काणा- "भाई बोले तो अपुनको आपको देखतेइच मालुम होगेला था कि आपको प्यार होगेला है!"

गन्नुभाई- "कैसे?"

रिठे काणा- " भाई, बोले तो, आज आपके सदाशिव अमरापुरकरके माफिक थोबडा भि गुलशन ग्रोवरके माफिक रंगिला दिखरेला था!"

गन्नुभाई- " अबे नेवलेके मुहमे पडेलि साँपका सर, तु हरामी मेरे कु विलैन काहे कु देखा रे? अपुन दाडि वाडि बनाके, बाल काटके चमेलीका तेल लगया पन तु मेरे कु सलमान वलवान नक्को देखा रे?"

रिठे काणा- " भाई आप भाई हो न, अख्खि मुम्बइके भाई! तो अपुन भि पिक्चरका भाईके माफिक देखा आपको!भाई आज अपुन बहुत खुस है भाई, सबको बताएंगा भाई अपुन कि भाईको प्यार होगेला है!..... अबे वो लंगडा,..अबे वो बाबु खुजलि. अबे वो हर्के  रंगिला,.. अबे हठेला,... अरे पप्पु, अबे वो बन्टी..सब इधरको आओ रे, भाईको प्यार होगेला है!"

(सब आते हैँ)

सैरियल लंगडा- " भाई भाई! ये काणा क्या बकरेला है? आपको सच्चिमे प्यार होगेला है क्या?"

गन्नुभाई- " ठिक सुना तु लंगडा, अपुनको उस भैँसवालि आइटमसे प्यार होगेला है!वो सन्नो अपुनको दारु छोडके चाय पिनेको बोलि और उसका मोबाइल नम्बर देगेलि है!"

सैरियल लंगडा- " तो भाई फटाकसे नम्बर दबानेका और आई लाँव यु बोलनेका!"

गन्नुभाई- " अबे भुकम्पमे उजडि हुइ इमारत, ऐसे कैसे फटाकसे आइ लाँव यु बोलनेका? शरम आनेको मांगता न लाँव मे!"

सैरियल लंगडा- " भाई तो बैजन्ती मालाके माफिक शरमाके बोलनेका!आप इधर आइ लाँव यु बोलो भाई, अपुन छोकरा लोगको उसको उठानेके वास्ते भेजेंगा!"

गन्नुभाई- " अबे सन्डासके लोटे, वो कोइ बिल्डर है जो उसको उठाके ईधरको लानेका? अपुन पेले आई लाँव यु बोलेंगा, उसके बादमे उसके घरमे जाकरके उसके भाई से उसका हाथ मागेंगा दिया तो दिया नक्को दिया तो उसके भाई को उडा डालेंगा!"

सैरियल लंगडा- " भाई तो आप फोन लगाओ न भाई!"

गन्नुभाई- " अबे भुतनिके! अपुन लाँव कररेला है कोइ पेटिका डिल नक्को! तु सब नासपिटे लोग इधरसे कलटि मारनेका पेले!....काणा तु इधर रुकनेका!"

सैरियल लंगडा, रिठे काणा और सब- "ठिक है भाई!"

(सब जाते हैँ, गन्नु मोबाइल निकालता है सोफे पे ढेर होता है और नम्बर डायल करता है!)

" टु फोर थ्रि वन टु फोर थ्रि वन"

गन्नुभाई-( मोबाईलका माउथपिस हाथ से बंद करके) " अबे काणा कोइ छोकरी बोलरेली है,लगता है वहिच सन्नो है पन साली अंग्रेजीमे बोलरेलि है!"

रिठे काणा- " भाई तु भि बोल डाल अग्रेजी फटाक से!"

गन्नुभाई - " एस गन्नुभाई बोलिङ, तु सन्नो बोलिङ क्या?...अपुन भाई है भाई, तु मेरेकु मोबाइल नम्बर दिया नक्को पेचानती क्या?.तु सन्नोइच है न?....याद कर् भैँस बेचनेको आइ थि!..हाँ हाँ वहिच भाई! पन तु मेरे कु भाई मत बोल, साला अख्खि मुम्बई भाई बोलता है तो अपुन समझता है कि अपुन डान वाला भाई है पन जब तु भाई बोलती है तो साला अपुन राखिवाला भाई याद करता है! तु मेरे कु भाई मत बोल्!..मेरे कु तेरे से मिलनेका है और वन टु फोर वन टु फोर करनेका है!..हाँ...अपुन आएंगा न अपुनके छोकरालोग के साथ!...अकेले आनेका?...आएंगा न अपुन!...बिल्कुल!..किधर कु?..वो बाघमारे ट्रेडर्सके सामने वालि इमारतके सामने?..बिल्कुल आएंगा अपुन!...ठिक है..काटता हुँ!"

रिठे काणा- " भाई क्या बोलि वो?"

गन्नुभाई-(थोडा शरमाते हुवे) " अकेले मिलनेको बुलारेली है! बाघमारे ट्रेडर्सकि सामने वालि इमारतके आगे!तेरे कु मालुम है किधर है ये?"

रिठे काणा- " बाघमारे...हम्म..मालुम है न भाई! वो आपको याद है न भाई अपुनका दीप हठेला पगला गया था और अपुन उसो उसिच इमारतमे लेकरके गया था! उधर तो भाई डाक्टर लोग पगलाए लोगको सलाखेके पिछे बन्दकरके रखता है भाई!"

गन्नुभाई- " वो सन्नो मेरे कु उधर काहे कु बुलाई?"

रिठे काणा- " वो सन्नो तो थि न भाई उधर फोन पे?"

गन्नुभाई- " अपुन पुछा उसको वो बोलरेलि थि कि सन्नो है!(कुछ देर सोचनेके बाद) अबे काणा तु अपुनका कुत्ता डिसिपि गनपतरावको फोन लगा और मालुम कर कि ये मोबाइल नम्बर किधरका है?"

रिठे काणा- " अब्बि लो भाई!"

(फोन लगाता है, कुछदेर कुछ बोलनेके बाद फोन रखता है और-)

रिठे काणा- " भाई..भाई वो छोकरी आप कु धोका दे गइ भाई! वो नम्बर जो आप कु दिया वो कोइ पागलखानेका नम्बर है भाई!"

गन्नुभाई- (बाल नोचते हुवे) " तो मेरेकु एक बडावाला पैग बना और गाडि निकाल्, अख्खि मुम्बई ढुँढेंगा पन वो छोकरीको खलास करके छोडेंगा अपुन!"

Last edited: 17-Jun-08 10:35 AM
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