Posted by: Birkhe_Maila June 9, 2008
~चौतारी ११८~
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लोल नेत्रे! मदनवाकै अर्को पत्र झुक्किएर मेरा पोल्टामा पर्या रेछ, तेसमा त एस्तो बेहोरा पो थो त गाँठे

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जान्कि बुलबुल,

जे राम जि कि।

हमि आज सला सब तरफ से हाइरके एक्टा लाँव लैटरवा लिखेछ तिमिलाई।हमरो लाईफमे हमि लाँव लैटर पहले लिखेछेन तिम्रो बाप बनवारीके कसम। पर सला उ दिन जब तिमिलाई हमि गन्नेके खेइतमे देख्यो सला हमरो दिलपे भि गुबार फुटनेको अस्टार्ट कियो। हमि उ दिन तिमिलाई फाँलो किए थियो बरहथवाके सकुल तक, पर सला सकुलमे तिमि जोगिन्दरके संग हँस्यो, हलवाईके दुकानपे पप्पुके संग बस्यो उसके बादमा मिश्राके संग हिरो साइकिलपे बैठके हनुमाननगरकि तरफ गियो हमरो दिलपे साँप लोट्यो। तिमि सला जोगिन्दरके संग काहेको बतियावँछ, उ सुसरा ठिक आदमि छेन, खेनि गुट्का हमि जो खान्छु उ को दु भाग खाइलिन्छ, हटियापे आवने सबके सब लरकिको बिगारे छ सुसरा! उ तिमरो टाइपके छेन, उ के संग बतियावनेको बन्द करिदेऊ। हमरो संग बतियाँ हमि बढियाँ बात कर्छ और तिमिलाई हँसावँछ। और तिमि उ पप्पुके संग नास्ता खानेको काहेको जान्छ? पप्पु सला नास्ता खिलाके दिल चुरावँछ, उको नजरिया ठिक छेन, उके संग नास्ता खानेको छारिदेऊ हमरो संग नास्ता खानेको आउ, सला हर दिन हलवा पुरी खिलावन्छ हमि पुरे गैरन्टी से। और तिमि उ सुसरा बुह्रो मिश्राके साइकिलपे हनुमाननगर काहेको जान्छ? उ सुसराके ३गो लुगाई पहले से छ, उ सुसरि लरकिलोगनको हनुमाननगरपे ले जाके चोलि वोलि खरिदके दिन्छ और सला उके नियतिया पे खोट छ। तिमि हमरो संग साइकिल पे चढिहाल, हमि तिमिलाई हनुमान नगरिया मात्र हेन पुरे राजबिरजवा घुमाइदिन्छ, और सुसरा एक्टा चोलिके कथि बात छ हमि तिमीलाई पुरे बदन ढाँकनेको कप्रा दिन्छ। हमि आज सवेरे गए थिएँ तिम्रो बाप बनवारीके हियाँ। बनवारी हमिलाई तम्बाकु खिलायो और बोल्यो कि उ सुसरा तिमिलाई हम्रो संग सादि गोना करिदिन्छ पर तिलकवापे एक्टा फुटे कोडिभि दिन्देन। हमि थोरै सला दहेजके लागि तिमिलाई लाँव करेछ, हमि त सला तिम्रो करारी जवानी देईखके लाँव करेछ। त हमरो दिलको धडकनिया जान्की, हमि कइल सवेरे तडके ६ बजे भारदहके बरगदके पेइडके निचे तिमिलाई वेँट कर्छ, बनवारीके सन्दुक फोइरके थोरै पेसा वेसा, सोना चाँदि लेइके हमरो संगमे आइहाल, सला हमरो भि हियाँ लाइफके कोनो गैरेन्टि छेन, हमि दु जने बिहारमे जाइके घइर बसावनेको पर्छ।

तोहर गबरु जवान

मदनवा

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