Posted by: Rahuldai June 2, 2008
चौतारी - ११७- भौते, चित्रे र ठुलीको खोजीमा
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पिउनेहरु प्रति,
जिउनेहरु प्रति

समर्पित अनुप जलोटा को यो शान्दार गजल।

जाम चल्ने  लगे दिल मचल्ने लगे
चेहरे चाहरे पे रंगे शराब आने लगे।


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