Posted by: Rahuldai June 2, 2008
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पिउनेहरु प्रति,
जिउनेहरु प्रति
समर्पित अनुप जलोटा को यो शान्दार गजल।
जाम चल्ने लगे दिल मचल्ने लगे
चेहरे चाहरे पे रंगे शराब आने लगे।