Posted by: Madness May 29, 2008
चौतारी - ११७- भौते, चित्रे र ठुलीको खोजीमा
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"""बनवारी काँप्दे भन्दे थियो," हमि आइँख बन्द कर्नेलाई सोँच्छु पर वँहि तमाचा चटा---क्क कर्के आवँछ!"""

ठिक बात बतियाएछ कुमलवा बिरादर। सला पुरे के पुरे गावँमे सब लोगन हमले खाएको तमाचाके पिछारि छ हुजुर। हँ? त हमि भि रातको सोनेको जान्छ पर जागिहाल्छ। चयाङवा जो तमाचा हमिलाई मारेछ उ हमरो कनपटिमा लगेछेन, सुसरा कनपटिसे सिधा दिलपे चोँट खाएछ हमि। त कथि गनतन्तर आयो रे हमिलाई? त एक्टा बुरबक चटाकसे तमाचा मारनेको बादमा सला खिसियाई हँसि हाँइसके जान्छ, त कथि गनतन्तरिया आएछ रे देशमा? त कुमलवा बिरादर हुजुर जो बतियायो उ हमि बुझेँछु, अब सला हमि भि एक्टा संघ खडा करनेको सोचेँछु। संघके लागि जो पेसा चाहेछ उ हुजुर कोनो चिन्ता नकरिलिनोस, हमरो होने न पाएको सुसरा बनवारि हमलाई बोलेछ कि "मदनवा कोनो चिनता के बात छेन, पेसा जो माँगेछ हमि लियावँछ, हमरो पासको पेसा से पुग्देन त टिरैक्टर बेइच के लियावँछ, उ ले भि पुग्देन त सला दोधाराके खलियान बेइचके लियावँछ!" हँ? त पेसाके कोनो चिन्ता छेन। पर हुजुर बोल्यो कि निशान्त भैयाको बुलावने, हमरो  छठि इन्द्रि बोलेछ कि उ बातमे भि गरबर छ। निशान्त भैया पिरोबिलाम करिएट करिहाल्नुहुन्छ, सला बात बात पे लात मारनेको उतारु हुनुहुन्छ त कैसन हमलाई जो छ हेल्प हुन्छ? हमि आज् जो चाहेछ, एक्टा बदिवानके नेता चाहेछ, हमि सोचेँछु कि हमरो राहुल भैया जो छ उ पह्रेलिखे छ और बुह्रो छ, उ को बुलाइके हमरो नेता बनाइलिने और इ समाज से, इ सोसायटि से, इ शहरसे, बाजार से सब गुन्डा लोगनके जो छ छुट्टि कराइदिने। तइब जा के आवँछ हुजुर हमरो लागि गनतन्तर!

 

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