Posted by: serial May 28, 2008
चौतारी - ११७- भौते, चित्रे र ठुलीको खोजीमा
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ल एउटा सायरी है

अगर हम ना होते तो तुझे गजल कौन केह्ता,
तेरे चेह्रे को कमाल कौन केह्ता,
येह तो करिश्मा है मोहब्बत का,
वर्ना पठ्हरो को ताज महल कौन केह्ता।

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