Posted by: serial May 27, 2008
चौतारी - ११७- भौते, चित्रे र ठुलीको खोजीमा
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लोल जिम्बाल लोल 

तेरी हर एक अदा के हम कायल हो गए,
तेरी टिर्छी नजर से जो हम घायल हो गए,
सच जाना जब हम्ने कि नजर हि टिर्छी है तेरी,
तो लगा ऐसा  झत्का  कि हम पागल हो गये।

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